[Show all top banners]

columbiauniversity
Replies to this thread:

More by columbiauniversity
What people are reading
Subscribers
:: Subscribe
Back to: Kurakani General Refresh page to view new replies
 तो तीन लोक कौन से हैं?
[VIEWED 6743 TIMES]
SAVE! for ease of future access.
Posted on 03-31-16 5:40 PM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

तो तीन लोक कौन से हैं? यह संसार जिसे भौतिक वास्तविकता भी कहा जाता है, पांच तत्वों का मिश्रण है। फिर भी जब किसी प्राणी के लिए इन पांच तत्वों का खेल खत्म हो जाता है, तब भी यह जीवन चलता रहता है। मरने के बाद भी जो जीवन चलता रहता है, उसे दो भागों में बांटा गया है – स्वर्ग और नरक, लेकिन आजकल अंग्रेजी भाषा में इन शब्दों का मतलब थोड़ा संकीर्ण हो गया है। अंग्रेजी में नरक को ‘हेल’ और स्वर्ग को ‘हेवन’ कहा जाता है। बौद्ध धर्म में इन्हें निचली और ऊपरी दुनिया कहा जाता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि एक संसार ऊपर और एक नीचे है। ऊपर और नीचे केवल सांकेतिक शब्द हैं, जो आपकी समझ और अनुभवों से संबंधित हैं। अपने स्वभाव के आधार पर ही कुछ लोग कष्टपूर्ण अवस्था में पहुंच जाते हैं। यही नहीं इन तत्वों के बीच रहते हुए भी कुछ लोग अपने अंदर पीड़ा पैदा कर लेते हैं, जबकि कुछ अपने भीतर आनंद पैदा कर लेते हैं। देखा जाए तो हम सब एक ही तरह के पदार्थों से निर्मित हैं, फि र भी हम एक दूसरे से कितने अलग हैं। कोई डर में है, कोई गुस्से में, कोई बेचैन है तो कोई मजे में और कोई प्यार में। सभी में घटक एक ही हैं, लेकिन हर कोई अलग-अलग तरीके से व्यवहार करता है।

मानव जीवन का महत्व इसलिए है, क्योंकि आपके पास विवेक है। आप अपने विवेक का इस्तेमाल खुद को आगे बढ़ाने में कर सकते हैं। ‘हेल’ और ‘हेवन’ शब्द तो गलत संकेत देते हैं। तो चलिए ऐसा करते हैं कि हम एक दुनिया को सुखद और दूसरी को दुखद दुनिया कह लेते हैं। एक बार आपने अपना शरीर छोड़ दिया तो आपके पास कोई विकल्प नहीं बचता। आपके पास विवेक विचार की, अंतर करने की क्षमता नहीं होती, क्योंकि आपके शरीर के साथ-साथ आपकी समझ भी चली जाती है। चूंकि आपका विवेक जा चुका है, इसलिए आप केवल अपनी प्रवृत्ति के अनुसार ही चलते हैं। अगर आपने अपनी प्रवृत्ति कष्टदायी बनाई है, तो आप उसे रोक नहीं सकते। और यह कष्ट तब तक चलता रहता है, जब तक कि उसकी ऊर्जा उस सीमा तक नहीं चली जाती, जहां उस प्राणी को दूसरा शरीर मिल सकता है। इन दुखद और सुखद दुनिया में वास करने वाले प्राणियों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है। यक्ष, गंधर्व, देव जैसे प्राणी आनंदमय होते हैं, परंतु वे सभी आनंद के अलग-अलग स्तरों में होते हैं।

अगर आपने कोई शरीर धारण किया हुआ है और आप फिर भी अपनी समझ का इस्तेमाल नहीं करते, तो आप अपनी प्रवृत्ति के अनुसार बहते चले जाएंगे।
इन तीन तरह के लोकों में से केवल भौतिक संसार में ही बुद्धि और विवेक सक्रिय होता है, आप में अंतर करने की क्षमता होती है। आप अपने से इतर कुछ बना सकते हैं। बाकी बची दो दुनिया में आप अपने ही द्वारा बनाई गई प्रवृत्तियों के अनुसार या तो कष्ट में रहते हैं या मजे करते हैं। मतलब यह है कि वहां आपका कोई बस नहीं चलता। दुर्भाग्य से आज भी ज्यादातर लोग अपना जीवन अपनी प्रवृत्ति के अनुसार जी रहें हैं, अपने विवेक या, अपनी जागरूकता के अनुसार नहीं। अगर आप हर एक पल अपनी मर्जी से जी रहे होते तो निश्चित तौर पर आप आनंद से, खुशी से और प्यार से जीवन जी रहे होते। लेकिन ऐसा दिन के चौबीस घंटे नहीं चलता, क्योंकि आप अपनी प्रवृत्ति के अनुसार चल रहे हैं, न कि अपनी मर्जी से। हालांकि आपके पास भेद करने की, अंतर करने की क्षमता होती है, फि र भी आप उसका इस्तेमाल यदा-कदा ही करते हैं। अगर आपकी बुद्धि और अंतर करने की क्षमता वाकई में सक्रिय है तो आप अपनी प्रवृत्ति के वश में नहीं आएंगे। फिर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी कार्मिक प्रवृत्ति क्या है और किस तरह से बाहरी ताकतें आपको उकसा रही हैं, आप हर पल वैसे ही होंगे जैसे आप होना चाहते हैं। इस तरह की कोई भी संभावना, क्षमता और शक्ति केवल तभी कारगर है, जब आप इस संसार में प्राणी के रूप में मौजूद हैं। दुखद और सुखद दोनों ही तरह की दुनिया में आपके पास ऐसी कोई संभावना, क्षमता और शक्ति नहीं होती।

भारत में ऐसी कितनी ही कहानियां हैं, जिसमें यह वर्णन है कि देवता भी अपनी शक्ति को और बढ़ाने के लिए अपनी मर्जी से मानव रूप में धरती पर जन्म लेते हैं और जरुरी तप या साधना की। ऐसा इसलिए क्योंकि केवल मानव में ही भेद करने की क्षमता होती है। अगर आपने कोई शरीर धारण किया हुआ है और आप फिर भी अपनी समझ का इस्तेमाल नहीं करते, तो आप अपनी प्रवृत्ति के अनुसार बहते चले जाएंगे। यह कुछ ऐसा होगा मानो आप संभावना से भरे इस संसार में नहीं हैं, बल्कि निष्क्रियता के संसार से ताल्लुक रखते हों, आप इस संसार में नहीं, दूसरे संसार में हों। लेकिन इस समय यह संसार ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां आपके पास अंतर करने की क्षमता है। इसलिए आप अपनी इस शक्ति को काम में लगाइए। अगर आप पूरे दिन ऐसा करते हैं तो आप आनंद में रहेंगे।

दुर्भाग्य से आज भी ज्यादातर लोग अपना जीवन अपनी प्रवृत्ति के अनुसार जी रहें हैं, अपने विवेक या, अपनी जागरूकता के अनुसार नहीं। अगर आप हर एक पल अपनी मर्जी से जी रहे होते तो निश्चित तौर पर आप आनंद से, खुशी से और प्यार से जीवन जी रहे होते।

आगे जारी …

यह लेख ईशा लहर से उद्धृत है।
 
आप ईशा लहर मैगज़ीन यहाँ से डाउनलोड करें या मैगज़ीन सब्सक्राइब करें।

संबन्धित पोस्ट


Type in below box in English and press Convert




 
Posted on 03-31-16 5:48 PM     [Snapshot: 11]     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     3       ?     Liked by
 

Here is another recipe for you

 
Posted on 03-31-16 6:36 PM     [Snapshot: 75]     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     1       ?     Liked by
 


How to make an epic rap video with no money whatsoever ! (featuring Fetty Wap and Rich Homie Quan )






 


Please Log in! to be able to reply! If you don't have a login, please register here.

YOU CAN ALSO



IN ORDER TO POST!




Within last 200 days
Recommended Popular Threads Controvertial Threads
TPS to F1 Status.
NRN card pros and cons?
TPS To F-1 COS
TPS Sakiyo Tara Case is in Court.
Got my F1 reinstatement approved within 3 months(was out of F1 for almost 2 years)
2020 : Why No Trump !
Nepal Likely to Get 60-Day TPS Notice
#MAGA#FAFO is delicious
ANA and AJAY KUMAR DEV. RAPISTS CONVENTION
NEPAL TPS IS GONE
NOV 18th TPS DAY
BREAKING: FEDERAL JUDGE ORDERS TRUMP ADMINISTRATION TO DELAY TERMINATION OF TPS HUMANITARIAN PROTECTION FOR 60,000 TPS HOLDERS WHO HAVE LIVED IN THE US FOR YEARS
EAD Filing
🛡️ Nepal TPS Holders: Don’t Panic About August 5 — DHS Screwed Up (Maybe on Purpose)
Trump’s “Big Beautiful Bill” is straight-up xenophobic class warfare. Let’s call it what it is.
Leave messages on US congressman's facebook to support TPS
Business Ideas in Nepal?
Nepal TPS Extension Possible as Court Reviews Late Notice Issue
Bill to Protect TPS and DED Recipients
कोर्टमा जाँदा आइसले समात्ला भन्ने डर छ भने यस्तो गर्नुहोला
NOTE: The opinions here represent the opinions of the individual posters, and not of Sajha.com. It is not possible for sajha.com to monitor all the postings, since sajha.com merely seeks to provide a cyber location for discussing ideas and concerns related to Nepal and the Nepalis. Please send an email to admin@sajha.com using a valid email address if you want any posting to be considered for deletion. Your request will be handled on a one to one basis. Sajha.com is a service please don't abuse it. - Thanks.

Sajha.com Privacy Policy

Like us in Facebook!

↑ Back to Top
free counters